2nd
June-----37 th Death anniversary of my father Late Sh. Manmohan Kalia----Lines
from his book "Thought At Midnight":-
अधिकाधिक अनिवार्य हो रहा, इस समाज से जाना I
यह है मांग समय की मुझको, होगा इसे निभाना II
फिर से इक सिद्धार्थ छोड़ कर अपने घर को जाये I
और हज़ारों साल बाद फिर, सच का पता लगाए II
लेकिन इतना अन्तर होगा, पहले से इस बार I
पहरेदारों के बिन होगा, खतरे में परिवार II
न खर्चे के लिए पास में कोष और धन होगा I
साधनहीन और संकटमय सारा जीवन होगा II
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