आज डॉ. श्यामाप्रशाद मुखर्जी की पुण्य तिथि है I उन्हों ने भारत में जम्मू - कश्मीर के पूर्ण विलय को लेकर संघर्ष किया और अपना बलिदान दिया I उनका जन्म 6 जुलाई , 1901 में कलकत्ता के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ I उनके पिता का नाम सर आशुतोष मुख़र्जी और माता का नाम श्रीमती योगमाया था I 1934 में वह कलकत्ता विश्व विधियालय के कुलपति बने, 1941 - 42 में बंगाल प्रदेश में वित्य मंत्री बने, 1944 में हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बने, 1947 में पंडित नेहरू के नेतृत्व में बनने वाली पहली अंतरिम सरकार में भारी उद्योग के मंत्री बने और 6 अप्रैल 1950 में मंत्री मंडल से नेहरू -लियाकत समझौते के विरोध में त्याग पत्र दे दिया और 1951 में अखिल भारतीय जनसंघ के पहले अध्यक्ष बने I
डॉ. श्यामाप्रशाद
मुखर्जी जम्मू - कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने के घोर विरोधी थे I उस वक्त जम्मू - कश्मीर में अन्य राज्य के लोगों को प्रवेश करने के लिए परमिट लेना अनिवार्य था I जम्मू -कश्मीर के मुख्यमंत्री को उस वक्त वज़ीरे-आज़म कहा जाता था जिसका अर्थ प्रधानमंत्री होता है और गवर्नर को सदरे - रियासत कहा जाता था जिसका अर्थ राष्ट्रपति होता है I डॉ. साहिब ने जम्मू कश्मीर के लिए देश वियापी आंदोलन किया जिसके लिए " एक देश में दो निशान, दो प्रधान, दो सविधान नहीं चलेंगे का नारा दिया "I 11 मई 1953 को पंजाब से होते हुए जम्मू -कश्मीर में बिना परमिट दाखिल हुए और उनको ग्रिफ्तार कर लिया गया I 23 जून 1953 को रहस्यमई परस्थितियों
में उनकी मृत्यु हो गई I
डॉ. श्यामाप्रशाद
मुख़र्जी का बलिदान रंग लाया और जम्मू - कश्मीर से परमिट सिस्टम हटा, वज़ीरे आज़म को मुख्यमंत्री कहा जाने लगा, सदरे रियासत को गवर्नर कहा जाने लगा, सुप्रीम कोर्ट और इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया की जूरिस्डिक्शन जम्मू - कश्मीर में भी लागु हुई I
समय ने फिर करवट ली और श्री नरेंन्द्र मोदी जी ने अपने 2014 के लोक सभा चुनाव के प्रचार की शुरुआत डॉक्टर श्यामा प्रशाद मुख़र्जी को 23 जून 2013 एकता स्थल, माधोपुर , पंजाब पर श्रद्धांजलि
देकर की और भारत के प्रधानमंत्री
बने I 5 अगस्त 2019 सविधान की धारा 370 और 35 -ऐ को प्रधानमंत्री
श्री नरिंदर मोदी जी की सरकार ने निरस्त करके डॉ. श्यामाप्रशाद मुखर्जी का जम्मू - कश्मीर का पूर्ण विलय का सपना साकार किया I
उल्लेखनीय है कि बात 23 जून 2005 की है जब माननीय श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी ने माधोपुर पुल के पास एक जन सभा में डाक्टर श्यामा प्रशाद मुख़र्जी को श्रद्धांजलि
देते हुए उनकी याद में इसी स्थान पर एक समारक बनाने की इच्छा प्रकट की I
जब 2007 में अकाली भाजपा की सरकार आई तो मैने पूर्व मुख्यामंत्री,
सरदार प्रकाश सिंह बादल जी को माननीय आडवाणी जी की डाक्टर श्यामा प्रशाद मुख़र्जी की याद में एक समारक बनाने की इच्छा बताई तो बादल साहिब ने आत्म विभोर होकर कहा कि " मेरा अहोभाग्य " और समारक को बनाने की जुमेवारी मुझको सौंप दी, मेरे पास उस वक्त भाजपा विधायक दल व् स्थानीय निकाय व् उद्योग मंत्री की जुमेवारी थी I
यह समारक, जिसका नाम "एकता स्थल" है, उस माधोपुर पुल्ल के बिलकुल समीप है जहा से डाक्टर श्यामा प्रशाद मुख़र्जी 11 मई 1953 को चल कर गए I दिल्ली के प्रसिद्ध शिल्प्कार श्री राम सुतार ने "एकता स्थल" पर स्थित डाक्टर श्यामा प्रशाद मुख़र्जी की सजीव सी दिखने वाली 18 फुट ऊंची प्रतिमा का निर्माण किया I इस समारक में एक फोटो गैलरी है जिसमे डाक्टर मुख़र्जी के जीवन सम्बंधित दुर्लभ फ़ोटोये लगी हुई है I इस समारक "एकता स्थल" को बनाने में 6 महीने का समय लगा I एकता सथल को 20 मार्च 2010 को आदरणीय श्री मोहन भागवत जी, सरसंघचालक , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कर कमलों से, श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी, पूर्व उप प्रधानमंत्री
तथा उस वक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा श्री नितिन गडकरी जी की उपस्थिति में, राष्ट्र को समर्पित किया गया I डॉ. श्यामाप्रशाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उनको शत: शत: नमन I
No comments:
Post a Comment