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आज पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी के 550 वे प्रकाश उत्सव पर मेरे साथ 400 साथिओं का जथा सुल्तानपुर लोधी में गुरद्वारा श्री बेर साहिब में माथा टेकने गया I सुल्तानपुर लोधी 20 वी सदी का इतिहासिक शहर है जिसका पुराना नाम सर्वमानपुर है , जो कभी बौद्ध ज्ञान व् अध्यात्म का केंद्र हुआ करता था I ऐसी मान्यता है कि बौद्ध धर्म कि इतिहासिक किताब अभिनव - प्रस्तावा इसी शहर में लिखी गई थी I इसी शहर में पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के 14 साल से भी ज्यादा दिन गुज़ारे थे और इसी शहर में उनके सपुत्र श्री लक्ष्मी चंद जी और श्री श्री चंद जी का जन्म हुआ था और इसी शहर में पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी ने 13 -13 तोला था और जिन पथरों से तोला था वह 14 पत्थर अभी यहाँ मौजूद है I गुरुद्वारा बेर साहिब में एक भोरा है जिसमे पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी ने तप किया था और उनके दुवारा लगाया गया बेर साहिब आज भी मौजूद है I श्री गुरुद्वारा साहिब में माथा टेक कर आशीर्वाद लिया और गुरुवाणी का आनंद प्राप्त किया और बाद में गुरु का लंगर ग्रहण किया
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